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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मनभावन रंग बिरंगी होली लट्ठमार होलीpleasing colourful Holi lattmar holi

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 बरसाने की लट्ठमार होली  होली में रंग गुलाल अबीर पिचकारी से जमकर होली खेली जाती है। बरसाना में लट्ठमार होली खेली जाती है। जिसमें लड़कियों और महिलाओं के साथ लट्ठमार होली मनाई जाती है। कहते हैं बरसाना गांव में राधा जी का जन्म हुआ था। होली का त्यौहार हो और राधा रानी और भगवान कृष्ण की होली के वर्णन के बगैर होली का वर्णन पूरी नहीं होती है। बरसाना के राधा रानी मंदिर में होली की अनोखी परंपरा लठ्ठमार होली मनाई जाती है। मथुरा में श्री द्वारिकाधीश मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है। फूलों से भगवान श्री कृष्ण राधा जी की सजावट की जाती है। और रंग-बिरंगे फूलों से होली खेली जाती है। लट्ठमार होली खेलने वाले पुरुषों को हुरियारे कहा जाता है महिलाओं को हुरियारन। श्री कृष्ण जी के नंद गांव के हुरियारे राधा रानी के गांव बरसाना में होली खेलने जाते हैं। किवदंती है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के संग होली खेलने बरसाना जाते थे। राधा रानी और सखियों के संग होली खेलते थे। उसी परंपरा के तौर पर आज भी लट्ठमार होली खेली जाती हैं। महिलाएं बड़ी-बड़ी लट्ठ लेकर आती हैं और पुरुषों पर बरसाती है। पुरुष अपने आप ...

अवलोस उंडा चावल के लड्डू । making rice lddus avalose unda avalose podi

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 अवलोस उंडा चावल के लड्डू बनाना  चावल से बनने वाला चावल का लड्डू है। इसे हम पंजीरी और लड्डू के रूप में बना सकते हैं। अवलोस  उंडा बनाने के लिए अरवा चावल और उसना चावल दोनों का प्रयोग किया जाता है। चावल को 4 से 5 घंटे पानी में भिगोकर निथार लेते हैं। इसे मिक्सी में चला कर दरदरा पाउडर बना लेते हैं, और छानकर रखते हैं। अवलोस उंडा और अवलोस पोड़ी बनाने के लिए सामग्री अरवा चावल 1/2किलो, उसना चावल 1पाव, गुड 1/2 किलो,  नारियल किसा हुआ 1 कटोरी जीरा 1 चम्मच कुटी हुई, दोनों चावल को भीगा कर  निथार लेते हैं ।मिक्सी में पीसकर आटा बना लेंगे । आटा दरदरा होना चाहिए। केरल का नाश्ता पुट्टु कैसे बनाते हैं  धि    विधि एक भारी तली वाले बर्तन में चावल का आटा डालकर आंच पर रखकर गर्म करते हैं। हल्का भून जाने पर किसा हुआ नारियल मिलाते हैं। और धीमी आंच पर रखकर भूनते हैं।अच्छी तरह भूनने के बाद कूटा हुआ जीरा मिलाते हैं। कुछ देर और भूनकर सिंक जाने पर आंच से उतार लेते हैं। एक दूसरी पतीली में गुड आधा कटोरी पानी डालकर गर्म करते हैं। एक तार की चाशनी बनने पर आंच से उतार लेते हैं। अब भुन...

प्राकृतिक रंगों की होली

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 फाल्गुन महीने के आते ही सभी को होली के त्यौहार का इंतजार रहता है। लोग बाग होली के रंगों में डूब जाना चाहते हैं। बच्चे एक दूसरे के ऊपर रंग गुलाल लगाकर होली का आनंद लेते हैं, और घर परिवार में भी बड़े बुजुर्ग सभी एक दूसरे के ऊपर रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाते हैं। एक दूसरे के ऊपर होली के रंगों को लगाते हैं।लोगों को रंगबिरंगा कर देते हैं। सभी रंगों में सराबोर हो जाते हैं।  प्राकृतिक रंगों से होली आजकल कई प्रकार के रसायनिक पदार्थों से होली के रंग तैयार किए जाते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ऐसे रसायनिक पदार्थों से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। शरीर में जलन और  खुजली आदि के शिकायत हो सकती है । बिना  रंगों के होली का आनंद कैसे प्राप्त होगा। होली का त्योहार, रंगों का त्योहार है। बिना रंगों के होली खेली नहीं जा सकती। होली खेलने के लिए रसायनिक रंगों के इस्तेमाल के बजाय प्राकृतिक रंगों या हर्बल रंगों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जिससे त्वचा को नुकसान होने का खतरा भी कम हो जाता है ,स्वास्थ्य खराब नहीं होता । आंखों में जलन, त्वचा में जलन, बालों का बदरंग हो जाना इत्य...