प्राकृतिक रंगों की होली

 फाल्गुन महीने के आते ही सभी को होली के त्यौहार का इंतजार रहता है। लोग बाग होली के रंगों में डूब जाना चाहते हैं। बच्चे एक दूसरे के ऊपर रंग गुलाल लगाकर होली का आनंद लेते हैं, और घर परिवार में भी बड़े बुजुर्ग सभी एक दूसरे के ऊपर रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाते हैं। एक दूसरे के ऊपर होली के रंगों को लगाते हैं।लोगों को रंगबिरंगा कर देते हैं। सभी रंगों में सराबोर हो जाते हैं।


 प्राकृतिक रंगों से होली

आजकल कई प्रकार के रसायनिक पदार्थों से होली के रंग तैयार किए जाते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ऐसे रसायनिक पदार्थों से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। शरीर में जलन और  खुजली आदि के शिकायत हो सकती है । बिना  रंगों के होली का आनंद कैसे प्राप्त होगा। होली का त्योहार, रंगों का त्योहार है। बिना रंगों के होली खेली नहीं जा सकती। होली खेलने के लिए रसायनिक रंगों के इस्तेमाल के बजाय प्राकृतिक रंगों या हर्बल रंगों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जिससे त्वचा को नुकसान होने का खतरा भी कम हो जाता है ,स्वास्थ्य खराब नहीं होता । आंखों में जलन, त्वचा में जलन, बालों का बदरंग हो जाना इत्यादि की रोकथाम किया जा सकता है।

प्राकृतिक रंगों का निर्माण कैसे किया जाए

प्राकृतिक रंग पेड़ पौधों से फूलों से प्राप्त किया जाता है या बनाया जा सकता है। कई प्रकार के फूल हमारे आसपास उपलब्ध होते हैं, इन फूलों से हम तरह-तरह के रंगों का निर्माण कर सकते हैं। और इससे हमारी त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता। यह प्राकृतिक रंग शरीर के लिए लाभदायक होते हैं । और त्वचा में निखार लाते हैं।

पलाश या टेसू के फूल


 टेसू के फूलों से आसानी से रंग बनाया जा सकता है।पलाश के फूल या टेसू के फूल को पानी में उबालकर यह रंग बनता है। जो त्वचा के लिए लाभदायक होती है। इन रंगों से त्वचा खराब नहीं होती है 

कच्ची हल्दी


कच्ची हल्दी को पीसकर पानी में मिलाकर इससे पीला रंग बनाया जाता है। यह बहुत गुणकारी होता है । पीले रंग का मजा भी लिया जा सकता है।

गुड़हल के फूलों से


लाल गुड़हल या अन्य रंगों के गुड़हल का उपयोग रंग बनाने के लिए किया जाता है। पानी को उबालकर उनमें गुड़हल के फूलों को डालकर अच्छी तरह उबालने के बाद इस पानी को छानकर रंग बनाया जाता है। गुड़हल के फूल से लाल जामुनी और नीला रंग बनाया जा सकता है।

कुमकुम का फूल


कुमकुम के लाल फूल जहां उपलब्ध होते हैं । वहां इससे आसानी से लाल रंग बनाया जा सकता है ।इसके फूल का उपयोग कुमकुम बनाने के लिए भी किया जाता है। कुमकुम के बीज को पीसने से गहरा लाल रंग मिलता है। जिसका उपयोग कुमकुम बनाने के लिए किया जाता है।

पालक के पत्ते


पालक के पत्ते या साग आसानी से सब जगह उपलब्ध होता है। पालक के पत्तों को मिक्सी में चला कर छानकर इसमें पानी मिलाया जाता है। इससे हरा रंग मिलता है ।इन रंगों का उपयोग होली खेलने के लिए किया जाता है।

शंखपुष्पी का फूल

नीले शंखपुष्पी से नीला रंग बनाया जा सकता है। नीले शंखपुष्पी को पानी में उबालकर छानकर बनाया जाता है।इससे नीला रंग मिलता है। जिसे होली में खेलने के लिए उपयोग किया जा सकता है।


जब मौसमी फूल उपलब्ध होते हैं। जैसे गुलाब गेंदा इन फूलों को सुखाकर पीसकर इससे प्राप्त चूर्ण को चावल के आटे में मिलाकर सूखे रंग बनाया जा सकता है।इस तरह कई प्रकार के फूलों से अलग-अलग रंगों को तैयार कर सकते हैं।


विभिन्न फूलों से प्राप्त अलग-अलग प्रकार के रंगों का प्रयोग कर स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं। रसायनिक रंगों से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं। बच्चे इन प्राकृतिक रंगों से होली खेल कर, होली का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।

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